जगन्नाथ रथ यात्रा शुरुआत 27 जून से होगी शुरू, जाने का टूर प्लान, दर्शन से लेकर ठहरने तक की पूरी जानकारी

पुरी 

हर साल ओडिशा में आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा में देश भर से लोग पहुंचते हैं. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा शुरुआत 27 जून से होने जा रही है. पुरी में होने वाले इस उत्सव का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि यहां की सांस्कृितक विरासत को दिखाता है, जो टूरिस्टों के आकर्षक का भी केंद्र हैं. अगर आप भी इस साल रथ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो जानिए यहां कैसे जाएं? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 26 जून दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 27 जून सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, यह पर्व 27 जून को मनाया जाएगा. रथ यात्रा नौ दिनों तक चलेगी और 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी.

कैसे जाएं पुरी

अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो आपको पुरी रेलवे स्टेशन जाना होगा, जो देश के करीब सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है. वहीं यात्रा के दौरान कई स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जाती हैं. पुरी रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 2 किलोमीटर के करीब है. यहां से आप ऑटो या रिक्शा लेकर जा सकते हैं. अगर आपको हवाई सफर करना है, तो करीबी एयरपोर्ट भुवनेश्वर में है. जो पुरी से करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. एयरपोर्ट से आप बस या टैक्सी की मदद से पुरी तक जा सकते हैं. 

पुरी में होटल और धर्मशाला के कई ऑप्शन मौजूद हैं, मंदिर के आसपास कई होटल हैं, जिनका बजट एक हजार से शुरू होता है. वहीं 500 रुपये में आपको धर्मशाला मिल जाएगा. मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक का है. दिन में साढ़े 11 बजे से एक बजे तक भोग और विशेष पूजा के लिए दर्शन बंद रहता है. मंदिर में अगर भीड़ हो तो दर्शन करने में 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है. जून और जुलाई के महीने में रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दुनिया भर से भक्त यहां आते हैं. रथ यात्रा से 15 दिन पहले मंदिर में दर्शन बंद हो जाता है.  

रथ यात्रा के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कई इंतजाम किए जाते हैं. पुरी रेलवे स्टेशन के बाहर निशुल्क कैंप भी लगाए जाते हैं जहां तीर्थयात्री रह सकते हैं. 

कैसे पहुंचें पुरी?

जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंचना होगा। पुरी उड़ीसा में स्थित है। आप हवाई मार्ग से सफर कर रहे हैं तो पुरी से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर में है। भुवनेश्वर का बीजू पटनाटक इंटरनेशनल एयरपोर्ट भारत के कई शहरों से सीधी उड़ान के माध्यम से जुड़ा है। आप भुवनेश्वर एयरपोर्ट पहुंचकर टैक्सी या बस के जरिए 60 किमी की दूरी तय करके पुरी पहुंच सकते हैं। 

बजट में सफर के लिए रेल यात्रा का विकल्प भी अपना सकते हैं। पुरी रेलवे स्टेशन देशभर से जुड़ा हुआ है। पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर और रथ यात्रा स्थल की दूरी लगभग ढाई से तीन किमी है।

सड़क मार्ग से यात्रा के लिए भुवनेश्वर और कोणार्क से पुरी के लिए नियमित सरकारी और निजी बसें मिलती हैं। NH-316 द्वारा सड़क मार्ग भी सरल है।

पुरी रथ यात्रा के लिए टिप्स

पहले से बुकिंग

रथ यात्रा में भारत ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं। रथ यात्रा के दौरान काफी भीड़ होती है और मंदिर के पास के होटल बुक हो जाते हैं। ऐसे में पहले से परिवहन यानी ट्रेन या फ्लाइट का टिकट बुक कर लें। साथ ही होटल या धर्मशाला की बुकिंग भी पहले से ही कर लें ताकि आपको वहां पहुंचने या रहने में असुविधा न हो।

मौसम समझें 

जून के अंत में पुरी में गर्मी और बारिश दोनों हो सकते हैं। मौसम का पता लगाकर उसके अनुसार ही आरामदायक कपड़े और छाता साथ रखें। 

सावधान रहें

रथ यात्रा के दौरान भीड़ को देखते हुए बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। अगर स्वास्थ्य समस्या है तो दूर से यात्रा देखें। इसके साथ ही अपनी कीमती सामान की देखरेख भी करें। 

मोबाइल ऐप का उपयोग

रथ यात्रा से जुड़ी सभी जानकारी Shree Jagannatha Dham ऐप पर उपलब्ध रहेगी। इस ऐप से आप दर्शन, लाइन स्थिति, आवास और महाप्रसाद की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने पुरी नगर दर्शन की इच्छा जताई. तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र ने उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया और रास्ते में वे अपनी मौसी के घर भी कुछ दिन ठहरे. तभी से यह परंपरा हर साल रथ यात्रा के रूप में निभाई जाती है.

रथ यात्रा का महत्व

ऐसा माना जाता है कि रथ यात्रा में शामिल होने या इसका साक्षात दर्शन करने से हजार यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है और यह यात्रा भक्तों को मोक्ष की ओर ले जाने वाली मानी जाती है.

जानें प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के रथ की खास बातें

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र यात्राओं में से एक है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि तक चलती है। इस साल यह यात्रा 27 जून से शुरू होगी। 9 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 5 जुलाई को समाप्त हो जाएगी। जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि जब भगवान जगन्नाथम बलभद्र और सुभद्रा जी की प्रतिमा को रथ में बैठाकर यात्रा निकाली जाती है, तो इसे भक्त खींचते हैं। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की यात्रा में रथ खींचने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप भी अगर इस साल भगवान जगन्नाथ जी का रथ खींचना चाहते हैं, तो आपको रथ खींचने से जुड़े नियम जरूर जान लेने चाहिए।

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा कहां से निकलती है

तीन रथों को मोटी रस्सियों से खींचा जाता है। यह रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक जाती है। रथों को खींचकर चार किलोमीटर की दूरी तय की जाती है। हर व्यक्ति को रथ खींचने का अवसर मिलता है। कुछ कदमों तक ही रथ खींचने की अनुमति है।

तीनों रथ के हैं अलग-अलग नाम

पुरी जगन्नाथ यात्रा में तीन रथ होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष या गरुड़ध्वज कहते हैं। एक दूसरा बलराम जी का होता है जिस रथ को 'तालध्वज' कहते हैं। देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन पद्म रथ कहा जाता है। जगन्नाथ का रथ, जिसे नंदी घोष रथ कहते हैं, 45 फीट ऊंचा है और इसमें 16 पहिए हैं। बलरामजी का रथ 43 फीट ऊंचा है और इसमें 14 पहिए होते हैं। सुभद्रा का रथ 42 फीट ऊंचा है और इसमें 12 पहिए होते हैं।

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने का नियम

किसी भी धर्म, जाति, प्रांत या देश का व्यक्ति रख खींच सकता है। इसका अर्थ यह है कि भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने को लेकर कोई भी नियम नहीं है। प्रभु जगन्नाथ सभी को समान दृष्टि से देखते हैं। इसे कोई भी भक्त खींच सकता है। जगन्नाथ जी के रथ को क्रम से सभी रथ की रस्सी को खींचते हैं। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने वाला व्यक्ति जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button